Saturday, October 06, 2012

बे-रुखी की बे-बसी

आँखों के रस्ते होंठो पर उतरना आसन न था,
उंगलियों को पकड़ के दिल में उतरना आसन न था.
तन्हाई की परछाई से दूर जाना आसन न था,
दूर कर के भी दूर रखना आसन न था.
दिल को बे-रुखी करना सिखाया कई बार
फिर भी उसे सामने देख कर अपने दिल को रोकना आसन न था.



Monday, April 09, 2012

लम्हों की बारिश


बेठा हुआ इस आरज़ू में के सजेगी महफ़िल आज फिर एकबार
क्यों ढल रही है शाम फिर क्यों है मेरा मन बेकरार
जज़्बात उठ रहे है आज क्यों फिर मचलने को
क्यों है मन भारी क्यों चाहता है दिल फिर धड़कने को
लम्हों की बारिश रोके क्यों रुक नहीं रही आज
क्यों उस बादल ने करवट बदल के मंजिल नई ढूंढ़ ली है आज
तमन्नाओं का दौर फिर से आज रुक सा गया है
आज फिर एक आंसू गिरते हुवे रुक सा गया है.

Tuesday, April 03, 2012

...ને મને તારો સંગાથ મળી ગયો

જયારે પાંદડે થી પાણી નું ટીપું પડ્યું,
મારા હોંઠો ને અડકી ને સરી ગયું,
પડ્યું એ તારા ગુલાબી હોંઠો પર ને,
ધીરે થી ગળા નીચે સરકી ગયું,
હતો એ દિવસ 'ને ઘડી આજની,
સરનામું મને તારું મળી ગયું,
આંગળીઓ તારી ભેરવાઈ મારી આંગળીઓ માં,
ને ચાલવાનો રસ્તો મને જડી ગયો,
રંગ લાગ્યો તારા સેંથા પર લાલ,
ને મને તારો સંગાથ મળી ગયો,
ચાલીશું સાથે જીવન ક્ષિતિજ સુધી સખી,
જાગતી આંખે સ્વપ્નો જોવાનો પર્યાય હવે મળી ગયો.

Tuesday, March 27, 2012

Kaash...

हसरते जी उठती है जब दिल से आती है आवाज़... काश
इश्क की कशिश देती है पैगाम के ये होता...काश
ज़मीं से आसमान नहीं मिलेगा चाहे कितना भी कह दो...काश
क्षितिज ही सही, कही तो सच होता है ये....काश...